तब स्मृतियों की दरारों में उग आती है कविताएं तब स्मृतियों की दरारों में उग आती है कविताएं
चाहती हूं तुझे जान लो जान से, जानती रश्मि न भूली मुझसे कहा चाहती हूं तुझे जान लो जान से, जानती रश्मि न भूली मुझसे कहा
नफरतों के बीच मुहब्बत आज बहुत शर्मिंदा है। नफरतों के बीच मुहब्बत आज बहुत शर्मिंदा है।
बदलाव बदलाव
जिस छुट्टी को लेकर बच्चा, बूढ़ा, जवान कोई उत्साहित नहीं। जिस छुट्टी को लेकर बच्चा, बूढ़ा, जवान कोई उत्साहित नहीं।
जब वक्त अच्छा हो तो वो ख़ुदा का नेक बंदा लगता है। जब वक्त बुरा हो तो सब कुछ गंदा लगता है। जब वक्त अच्छा हो तो वो ख़ुदा का नेक बंदा लगता है। जब वक्त बुरा हो तो स...